तहसील कालपी

कालपी: ऑनलाइन खसरा के लिए किसानों को करना होगा दो वर्ष और इंतजार

कालपी (जालौन): किसानों के लिए फसलों की ऑनलाइन दर्ज प्रक्रिया (ई-क्रॉप सर्वे) के तहत ऑनलाइन खसरा मिलने का सपना अभी दो वर्ष और अधूरा रहेगा। शासन द्वारा इस व्यवस्था को लागू किए हुए चार वर्ष हो चुके हैं, लेकिन यह प्रणाली छह वर्षों के परीक्षण (ट्रायल) के बाद ही पूरी तरह प्रभावी होगी।

क्या है ऑनलाइन खसरा व्यवस्था?

खसरा के माध्यम से शासन को खेतों में बोई गई फसलों की जानकारी प्राप्त होती है, जिससे फसल उत्पादन का आकलन किया जाता है। पहले यह प्रक्रिया पूरी तरह लेखपालों पर निर्भर थी, जो अपनी मर्जी के अनुसार खेतों में बोई गई फसल का विवरण दर्ज करते थे। इस व्यवस्था में अक्सर त्रुटियां सामने आती थीं, जिससे फसल उत्पादन के आंकड़े सही नहीं मिल पाते थे।

इन समस्याओं को देखते हुए शासन ने ऑनलाइन खसरा प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया। इस नई व्यवस्था के तहत विभिन्न विभागों के कर्मचारी खेतों का भौतिक निरीक्षण कर वहां बोई गई फसल की तस्वीर शासन द्वारा बनाए गए पोर्टल पर अपलोड करते हैं। यह प्रक्रिया तीनों फसली सीजन — रबी, खरीफ और जायद में अपनाई जा रही है।

रबी फसल का सर्वे लगभग पूरा

प्रभारी तहसीलदार चंद्रमोहन शुक्ला ने बताया कि रबी की फसल का ई-क्रॉप सर्वे लगभग 96 प्रतिशत पूरा हो चुका है। इस प्रक्रिया में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है, जिससे भविष्य में किसानों को अपनी फसल का सटीक विवरण ऑनलाइन देखने की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।

दो वर्ष और करना होगा इंतजार

हालांकि यह व्यवस्था अभी परीक्षण (ट्रायल) के दौर में है और इसे पूरी तरह लागू होने में दो वर्ष और लगेंगे। छह वर्षों के सफल परीक्षण के बाद ही ऑनलाइन खसरा भी खतौनी की तरह किसानों को ऑनलाइन उपलब्ध हो सकेगा। इसके बाद किसान अपने खेत में बोई गई फसलों की जानकारी एक क्लिक पर देख सकेंगे।

बंजर भूमि का भी सर्वे जारी

तहसीलदार ने बताया कि सिर्फ फसलों का ही नहीं, बल्कि बंजर भूमि का भी सर्वे किया जा रहा है। इसका उद्देश्य ऐसी भूमि की वास्तविक स्थिति जानकर उसका मूल्यांकन करना है। इससे किसानों को अपनी अनुपयोगी जमीन की कीमत का सही आकलन मिल सकेगा और भविष्य में उन्हें लेखपालों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

किसानों को होगा बड़ा लाभ

इस नई प्रणाली से किसानों को कई फायदे होंगे:

  • खेतों की फसल का सटीक रिकॉर्ड मिलेगा।
  • फसल उत्पादन के आंकड़ों में पारदर्शिता आएगी।
  • मुआवजा, बीमा और सरकारी योजनाओं का लाभ किसानों को सटीक जानकारी के आधार पर आसानी से मिलेगा।
  • किसानों को खसरा संबंधी जानकारी के लिए लेखपालों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।

स्थानीय किसानों की प्रतिक्रिया

इस पहल से किसान उत्साहित हैं। उनका मानना है कि ऑनलाइन खसरा व्यवस्था लागू होने के बाद फसल का सही आकलन होने से उन्हें शासन की योजनाओं का अधिक लाभ मिल सकेगा।

ब्यूरो रिपोर्ट डेस्क

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